1- वो नंगे पाँव बारिश में दोनो हाथ फैलाए मस्ती में भीगता हुआ घर जा रहा था....
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और मैं ऐसा चाह कर भी नहीँ कर पाया क्योंकि
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मेरी जेब में दो मोबाइल , कुछ नोट, हाथ में ब्राण्डेड वॉच और पैरों मैं लेदर शुज थे..
समझ नहीँ आ रहा है की विलासता मुझे सुख दे रही है या फकीरी उसको ?
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और मैं ऐसा चाह कर भी नहीँ कर पाया क्योंकि
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मेरी जेब में दो मोबाइल , कुछ नोट, हाथ में ब्राण्डेड वॉच और पैरों मैं लेदर शुज थे..
समझ नहीँ आ रहा है की विलासता मुझे सुख दे रही है या फकीरी उसको ?
2- कई पुराने यारों से अब बातें करना छोड़ दिया है,
हमने भी अब इन आँखों में यादें रखना छोड़ दिया है।
हमने भी अब इन आँखों में यादें रखना छोड़ दिया है।
उसी पुराने रस्ते पर फिर न मिल जाएँ लोग वही,
घर को उस रस्ते से होकर, रोज़ पहुँचना छोड़ दिया है।
घर को उस रस्ते से होकर, रोज़ पहुँचना छोड़ दिया है।
नज़रे भी अब थोडा ऊपर, उठकर चलना चाहती हैं,
दिल ने भी अब झुककर रहना, सुनकर सहना छोड़ दिया है।
दिल ने भी अब झुककर रहना, सुनकर सहना छोड़ दिया है।
'आकाश' को छूने की ख्वाहिश फिर होती तो हर मन में है,
रहता क्या है इस दिल में, ये सबसे कहना छोड़ दिया है।
रहता क्या है इस दिल में, ये सबसे कहना छोड़ दिया है।
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